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मानसिक शक्तियों का विकास क्यों और कैसे
मनुष्य जीवन की प्राप्ति सृष्टि की एक अनुपम एवं सर्वश्रेष्ठ कृति है और इस मानव शरीर में शिव का सर्वाधिक विलक्षण, महान शक्तिशाली ऊर्जा तन्त्र ‘मस्तिष्क’ अवस्थित है। इस अतिविशिष्ट तन्त्र की शक्ति व क्षमताएँ असीमित है, जिसके बल पर मानसिक शक्तियों का उत्कृष्ट सृजन निरन्तर सृजित होता है। ‘मानसिक शक्ति’ शरीर का वह अनुलनीय शक्तिपुँज है, जो प्रतिपल परिदर्शित होता है, हमारे कर्म और चमत्कारों के सृजन के रूप में, और परमपिता परमेश्वर एवं प्रकृति को आत्मसात करने की चेतना देता है।
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मानसिक दक्षता
मनुष्य जीवन के समस्त कार्यो का संचालन मुख्यतः मानसिक शक्तियों द्वारा ही होता है। मन विविध क्रियाएँ करता है और अनेक मनोवैज्ञानिक उपायों से उनकी दक्षता में वृद्धि की जा सकती है। ‘शरीर और मन’ मनुष्य के व्यक्तित्व के प्रधान अंगों में से दो है, दोनों ही क्रिया-प्रतिक्रिया करके परस्पर प्रभावित करते है। मन शरीर का राजा है और सभ्यता तथा उन्नति के शिखर पर संसार की वही जातियाँ पाई जाती है, जिन्होंने अपने सदस्यों के मन को बहुत ही परिष्कृत किया है। इसी प्रकार साधारणतः वही लोग अधिक सफल और निपुण होते हैं......
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मन सबल तो तन सबल
‘मन’ मानव शरीर का दर्पण है, जिसका प्रतिबिम्ब उसके व्यक्तित्व से स्पष्ट दिखाई देता है। मनुष्य का मुख्य अस्तित्व उसकी आन्तरिक, अलक्ष्य एवं आध्यात्मिक शक्तियाँ ही हैं, जिनके माध्यम से वह अपना जीवन और कर्मशक्ति स्वंय अंर्तमन से ही ग्रहण करता है। बाह्य वस्तुएँ तो एक प्रकार की सारणियाँ है, जिससे मानव-अस्तित्व की शक्तियाँ व्यय होती है, किन्तु इन शक्तियों को निरन्तर उर्जित करते रहने के लिये, ‘मन’ का सुदृढ़, सुविकसित और सकारात्मक होना अत्यन्त आवश्यक है। मूलतः जब मन की भावनाएँ शान्त रहती हैं तभी शरीर ......
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सकारात्मक सोच का जादू
संसार एक है लेकिन इसमें असंख्य मनुष्य निवास करते है। इस विश्व का प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग नजरिये से सोचता व विचार करता है और सोचने-समझने का तरीका ही, एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न करता है। कई बार मानव जीवन में, घटित अनचाही घटनाएँ जैसे-अपमान, नुकसान, असफलता, धोखा, दुर्घटना, पराजय आदि इसे निरपेक्ष सोच रखने के लिये बाध्य कर देती हैं। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति यह सोचने लगता है कि वह सही व्यक्ति नहीं, उसमें कोई कमी है या वह असफल है, इसलिये कष्ट सह रहा है। फलस्वरूप निराशा, हताशा और मायूस......
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क्या भूलें क्या याद रखें - कैसे जीवन का स्वाद चखें
मनुष्य की सफलता के रहस्यों में स्मृति का महत्वपूर्णं स्थान है। वस्तुतः स्मृति एक मानसिक क्रिया है, जो कि एक विशेष शैली में कार्य करती है। जिसकी चमत्कारिक शक्ति से नये-पुराने अनुभव सुरक्षित किये जाते है और आवश्यकता पड़ने पर स्मृति से ही भूली-बिसरी बातों को याद किया जाता है। स्मरण शक्ति से ही समस्त ज्ञान की सम्पत्ति सुरक्षित रहती है। इसी के माध्यम से शिक्षा, ज्ञानोपार्जन, निपुणता का विकास व सम्बन्धों का ज्ञान रहता है। स्मृति ही विचार सामग्री को प्रदान करती है जिसके फलस्वरूप सभ्य जीवन की प्राप्......
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हास्य मानव जीवन के लिए वरदान है
जीवन जीने की उत्कट आकांक्षा और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मन में उमंग उत्साह रूपी इन्द्रधनुष अपने विविध रंगो से पूरे परिवेश और मन-प्राण को सराबोर कर जाता है। उगते सूरज की कोमल किरणें व्यक्ति के विश्वास और आशा को दृढ़ बनाती है और आत्म-विश्वास व सरसता से ओत-प्रोत उल्लसित मन आने वाले हर पल को मंगलमय कर देती है फलतः मनुष्य के मुख मंडल पर आनन्दमय मुस्कुराहटें सदा बनी रहती है।
जीने को तो हम सभी जीते हैं पर सही मायनों में जीवन जीने की सार्थकता इसी में हैं, जब हम उसे स्वस्थ......
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सृजनशीलता और हम
मनुष्य के मन-मस्तिष्क में कल्पनाओं की महिमा निराली है। सृजन और विध्वंस दोनों की क्षमता रखती है, निर्भर करता है कि उनका प्रयोग कैसे करते हैं। संसार में सृष्टि की संरचना और उसका विकास सृजनशीलता का ही परिणाम है। प्रकृति से हमें सदैव कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है। सामान्यतः व्यक्ति में सृजन की शक्ति विचारों, अनुभवों, आन्तरिक ज्ञान व बोध से ही संभव हुई है। प्रभावशाली ज्ञान वउच्चकोटि की सोच ही त्रुटि रहित विचारों को जन्म देती है जिसके फलस्वरूप नये सृजन होते रहते हैं। वैसे वनोविज्ञान में भी ऐसे......
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पठन-शौक या अनिवार्यता
मनुष्य इस पृथ्वी पर अगणित पुण्यों का प्रताप है। यह हमारे सत्कर्मों का प्रताप ही है कि हमें मानुष तन प्राप्त हुआ है। इस धरा पर मानव-जीवन के अवतरण का निश्चित ही विशेष प्रयोजन है, तभी तो ईश्वर ने हमें यह अतुलित, अनुपम, अद्भुत अस्तित्व प्रदान किया है। एैतिहासिक तथ्यों से भी यही ज्ञात होता है कि मनुष्य के इस वर्तमान रूप के प्रार्दुभाव में ही लाखों वर्ष व्यतीत हो गये, तब कहीं जाकर ऐसा सर्वोत्तम सामर्थ्यवान बेजोड़ मानव तन्त्र प्राप्त हुआ। अतः मानव शरीर असंख्य अविश्वसनीय क्षमताओं एवं बुद्धिमत्ता से ......
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जीवन में विनोदवृत्ति का महत्व
जीवन जीने की उत्कृट आकांक्षा और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये मन में उमंग उत्साह रूपी इन्द्रधनुष अपने विविध रंगो से पूरे परिवेश और मन-प्राण को सराबोर कर जाता है। उगते सूजर की पहली किरणें व्यक्ति के विश्वास और आशा को दृढ़ बनाती है और आत्मविश्वास से ओत-प्रोत उल्लासित मन आने वाले हर कार्य को मंगलमय कर देता है।
जीने को तो हम सभी जीते हैं पर सही मायनों में जीवन जीने की सार्थकता इसी में है, जब हम उसे स्वस्थ, सुखी व आनन्दमय होकर जियें। वैसे तो जीवन पर हमारे खान-पान और विचारो......
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